Shraddha Murder Case: श्रद्धा मर्डर केस इस खौफनाक कत्ल से जुड़े सबूत, गवाह और तफ्तीश क्या कातिल को उसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए काफी हैं? क्या मौजूदा हालात में आरोपी पूनावाला फांसी के फंदे तक पहुंच सकता है?

Shraddha Murder Case:श्रद्धा वॉल्कर और आफताब अमीन पूनावाला के इश्क की कहानी का खूनी अंजाम देखकर सब दहल गए हैं. यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि कैसे कोई आशिक अपनी महबूबा को इस बेरहमी के साथ कत्ल कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर सकता है. अब कातिल पुलिस की गिरफ्त में है और कत्ल की पूरी कहानी भी सामने आ चुकी है. मगर इस खौफनाक कत्ल से जुड़े सबूत, गवाह और तफ्तीश क्या कातिल को उसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए काफी है? क्या मौजूदा हालात में आरोपी पूनावाला फांसी के फंदे तक पहुंच सकता है?
Shraddha Murder Case:श्रद्धा मर्डर केस में क्या फांसी के फंदे तक पहुंचेगा आफताब?
क्या इस काम के लिए दिल्ली पुलिस के पास मौजूद सबूत और आरोपी का बयान काफी होगा?
ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए हमने कुछ कानूनी विशेषज्ञों से बातचीत की. आइए जानते हैं वो इस मर्डर केस के बारे में क्या कहते हैं. कानूनी जानकार की राय सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता अजय अग्रवाल बताते हैं कि जो अवशेष पुलिस ने बरामद किए हैं, अगर उनका डीएनए श्रद्धा के पिता के साथ मैच कर जाता है, तो आरोपी का बचना नामुमकिन है.
अजय अग्रवाल कहते हैं कि केवल बयान के आधार पर किसी को सजा नहीं हो सकती. पुलिस हालात के हिसाब से सबूत जमा करती है. बयान के आधार पर भी सबूत जमा किए जाते हैं. पुलिस के सामने का बयान ज्यादा एडमिसेबल नहीं होता. इसलिए पुलिस खुद एविडेंस जुटाती है. ब्रूटल मर्डर केस है. रेयर ऑफ रेयरेस्ट केस है.

पूर्व आईपीएस अधिकारी की राय
यूपी पुलिस के पूर्व आईजी और आईपीएस अधिकारी रहे पीयूष श्रीवास्तव बताते हैं कि एक मामला ऐसी ही मिसाल है, जिसमें डीपी यादव के बेटे विकास यादव ने एक मर्डर किया था. वो लाश को गाड़ी से बुलंदशहर ले गया था और वहीं फेंककर आया था. बाद में उस मामले में कुछ नहीं मिला था. लेकिन आजतक वह जेल में है. हत्या के मामले में सजा काट रहा है. इतना प्रभाव होने के बाद भी वो छूट नहीं सका. इस मामले (श्रद्धा मर्डर केस) में तो पुलिस के पास बहुत कुछ है.
मिर्जापुर रेंज के पूर्व आईजी पीयूष कहते हैं कि कहीं नहीं लिखा है कि जब तक आईविटनेस नहीं मिलेगा या डेड बॉडी नहीं मिलेगी तो कनविक्शन नहीं हो सकता. एविडेंस एक्ट की जब बात आती है और पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़ती है, तो पुलिस केस को टोटल कनविक्शन तक पहुंचा देती है. वो कहते हैं कि आरुषि मर्डर केस में पहले पुलिस और बाद में सीबीआई ने भी फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी. इसके बाद भी कोर्ट ने उसके माता-पिता को अरेस्ट कराकर जेल भेज दिया था.
पूर्व आईपीएस पीयूष श्रीवास्तव श्रद्धा मर्डर केस के बारे में कहते हैं कि जब तक वे पुलिस की तफ्तीश नहीं देखेंगे, तब उसके बारे में नहीं बता सकते. लेकिन सामान्य तौर पर लड़की के घर में आने का सबूत और फिर बाहर नहीं जाने का सबूत मिल सकता है. आस-पास के सारी सीसीटीवी फुटेज पुलिस जुटा सकती है. आरोपी और मृतका की मोबाइल लोकेशन मैच कर सकती है.
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लड़की का आखिरी लोकेशन अहम है.Shraddha Murder Case
हो सकता है पुलिस ने लड़की का मोबाइल बरामद किया है मौके से. तो फिर लड़की कहां गई. तो ऐसे ही बहुत सारी बाते हैं. पूरा मामला इस बात पर निर्भर करता है कि पुलिस कितनी अच्छी तफ्तीश कर रही है.
क्या कहते हैं जांच विशेषज्ञ?
यूपी पुलिस के एक तेज तर्रार अधिकारी ने अपने लंबे अनुभव के आधार पर जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी अभियुक्त अगर पुलिस के सामने जुर्म कबूल करता है तो उसकी कोई वैल्यू नहीं है. पर एविडेंस एक्ट की दफा 27 के तहत उसकी वैल्यू तब है, जब अभियुक्त की निशानदेही पर बरामदगी होती है. उसमें केवल उतना ही हिस्सा एडमिसेबल होता है, जिसमें अभियुक्त रिकवरी के बारे में बताता है.
मान लें कि अभियुक्त ने पूरी वारदात की कहानी पुलिस को बताई. उसने बताया कि मैंने कत्ल के बाद लाश के टुकड़े कर सिर जंगल में वहां रखा है, पांव जंगल के दूसरे कोने में रखे. हाथ जंगल के बीच में रखे. धड़ किनारे पर जमीन में दबा दिया. और इसी तरह से वो चार या पांच या 13 जगह बता देता है. पुलिस लिखा-पढ़ी करने के बाद उसे साथ लेकर जाती है, और उसकी निशानदेही पर वो सारे लाश के टुकड़े बरामद करती है. बरामदगी के वक्त अभियुक्त पुलिस को बता रहा होता है कि मैंने यहां पर लाश का सिर दबाया था और पुलिस वहां से सिर की खोपड़ी निकालती है. तो जो उस वक्त वो पुलिस को बता रहा है, तो वही हिस्सा कोर्ट में एडमिसेबल होगा.
वो बताते हैं कि किसी भी वारदात को दो हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है. पहला घटना से पहले के एविडेंस क्या हैं? और दूसरा घटना के बाद क्या एविडेंस मिले? घटना से पहले का सबूत ये है कि श्रद्धा ने घटना से पहले फोन पर या मिलकर मौखिक रूप से लड़की ने अपने दोस्त या परिवार को शिकायत करते हुए बताया था कि आफताब उसके साथ मारपीट करता है. उसी मारपीट के नतीजे में उस लड़की का मर्डर हो जाता है. उसकी लाश को अभियुक्त बरामद कराता है.

श्रद्धा ने परिजनों को मारपीट के बारे में बताया था Shraddha Murder Case
दूसरा घटना के बाद का एविडेंस ये हो सकता है कि अभियुक्त के घर से जो फ्रिज मिला है, वो एक मैटेरियल एविडेंस है. उसमें ब्लड स्टेन नहीं मिले तो उसका रिजन भी सामने आ रहा है. स्टेन इसलिए नहीं मिले के अभियुक्त ने केमिकल से साफ कर दिया था. उस केमिकल में वो ताकत थी कि वो स्टेन साफ कर सकता है. सारे स्टेन हटा सकता है. तो ये भी एक स्ट्रांग एविडेंस है.
इस मामले में घटना से पहले के एविडेंस अभियुक्त की प्रवृत्ति को जाहिर कर रहे हैं. क्योंकि उसने लड़की को प्रताड़ित किया था. और लड़की ने अपने दोस्तों और परिवार को उसकी हिंसक हरकतों के बारे में बताया था कि वो मारपीट करता था. लड़की अभियुक्त के साथ ही रहती थी. और लास्ट में उसके साथ ही उसे देखा गया. तो जाहिर बात है कि अभियुक्त को ही पता है कि लड़की के साथ क्या हुआ.
एक एविडेंस और सामने आया है कि अभियुक्त ने आसानी से लड़की की लाश के टुकड़े कैसे कर दिए? क्योंकि मुजरिम एक शैफ था. उसको चाकू वगैरह चलाने का तजुर्बा था. इसे आरुषि कांड से रिलेट कर सकते हैं. क्योंकि उस मामले में आरुषि के पिता डॉक्टर थे. आरुषि का कत्ल भी मेडिकल नाइफ से किया गया था. वो जानता था चाकू कैसे चलाना है.
लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे दोनों
पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे, जो एडमिसेबल है. उसे कानून भी मान्यता देता है. और जहां वो दोनों रहते थे, वहां से भी गवाही मिल सकती है कि ये दोनों साथ-साथ रहते थे. झगड़ा होने के एविडेंस मिल सकते हैं. पास पड़ोस के लोग बता सकते हैं कि जोर जोर से आवाज़ आई थी. या उस दिन के बाद लड़की दिखाई नहीं दी. अभियुक्त किसी के पूछने पर भी बहाना बना देता था. वो बताते हैं कि इस मामले में कुछ गवाही ऐसी हैं, जो पुलिस को तलाश करनी पड़ेंगी.
Shraddha Murder Case
पुलिस अफसर ने बताया कि अगर अभियुक्त लड़की का मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहा था. उसका सोशल मीडिया चला रहा था. तो अभियुक्त और मृतका के मोबाइल फोन की लोकेशन जांच करने पर एक ही आएगी. तो उससे पता चलेगा कि मोबाइल हमेशा उसी के पास था. अगर उसके घर से बदबू आ रही हो तो पड़ोसी उसके बारे में बता सकते हैं. तो पुलिस को इस तरह के कई एविडेंस खोजने होते हैं.
यह मामला रेयरेस्ट इसलिए भी हो जाता है कि ब्रूटल मर्डर करना. पता ना देना. मामले को छुपाना. सबूत मिटा देना. एक अभियुक्त इतना शातिर है, उसका दिमाग शातिराना है. उसने लाश को ठिकाने लगाने का क्या तरीका अपनाया. उसने वैलप्लांड तरीके से इस पूरी वारदात को अंजाम दिया. उसे पता था कि घटना अंजाम देने के बाद लाश को कैसे डिस्पोज़ऑफ करना है. वो बैग, जिसमें वो लाश के टुकड़े लेकर जाता था. या उसने उसे अगर नष्ट कर दिया हो तो उसकी राख या टुकड़ा वगैरह मिल जाए. तो ऐसी ही बहुत सारी चीजें हैं, जो इस मामले में अहम हो सकती हैं.
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ऐसे हुआ था खुलासा:
आपको बताते चलें कि 18 मई 2022 को जब उसका झगड़ा श्रद्धा से हुआ तो पहले वह श्रद्धा की छाती पर बैठ गया. फिर उसका गला दबाया और मार डाला. हत्या के बाद सबसे पहले उसने लाश को बाथरूम में रखा. यहीं पर उसने लाश के 20 टुकड़े किए.
टुकड़े करने के बाद फर्श पर खून ही खून हो गया था. सल्फर हाइपोक्लोरिक एसिड का इस्तेमाल करके उसने फर्श को धोया, जिससे फोरेंसिक जांच के दौरान DNA सैंपल न मिल पाएं. एसिड के बारे में उसे गूगल पर सर्च करने से पता चला था. इसके बाद गूगल पर ही उसने यह भी सर्च किया था कि बॉडी पार्ट्स को कैसे काटा जाए. श्रद्धा की हत्या के बाद उसने उसके कपड़े उतार दिए और उन्हें कूड़ा उठाने वाली वैन में डाल दिया था.